झारखंड सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 के नवंबर माह तक मूल्य वर्धित कर (वैट) में 325 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के इसी अवधि में 4360 करोड़ रुपये का वैट संग्रह हुआ था, जो चालू वित्तीय वर्ष में घटकर 4035 करोड़ रुपये रह गया। यह 7.45 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है।

वैट में गिरावट के कारण

वाणिज्य कर विभाग ने इस गिरावट के पीछे तीन प्रमुख कारणों की पहचान की है:

1. उत्तर प्रदेश में डीजल पर वैट की दर कम

उत्तर प्रदेश में डीजल पर वैट झारखंड से 4.92 प्रतिशत कम है, जिसके कारण यूपी में डीजल का मूल्य कम है। सीमावर्ती क्षेत्रों और माइनिंग कंपनियां यूपी के पेट्रोल पंपों से डीजल खरीदना ज्यादा फायदेमंद मान रही हैं। यूपी में डीजल की औसत कीमत 88.27 रुपये प्रति लीटर है, जबकि झारखंड में यह 93.40 रुपये प्रति लीटर है।

2. इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहनों का बढ़ता उपयोग

पेट्रोल और डीजल के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक और सीएनजी गाड़ियों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे परंपरागत ईंधन की मांग में कमी आई है।

3. विदेशी शराब पर उत्पाद शुल्क में कमी

भारत में निर्मित विदेशी शराब पर उत्पाद शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने का प्रभाव वैट संग्रह पर पड़ा है।

झारखंड में वैट की वर्तमान दर

• झारखंड में डीजल पर वैट की दर: 22 प्रतिशत या 12.50 रुपये प्रति लीटर, जो भी अधिक हो।

• इसके अतिरिक्त, झारखंड सरकार 1 रुपये प्रति लीटर सेस भी लेती है।

अन्य राज्यों में वैट की दर

उत्तर प्रदेश: 17.08 प्रतिशत या 10.41 रुपये प्रति लीटर।

पश्चिम बंगाल: 17 प्रतिशत या 7.70 रुपये प्रति लीटर।

संभावित समाधान

झारखंड सरकार वैट संग्रह में गिरावट को रोकने के लिए उपायों पर विचार कर रही है। वाणिज्य कर विभाग ने पेट्रोल और डीजल पर लगाए जा रहे सेस और वैट की दरों पर मंथन शुरू कर दिया है। झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने सरकार से वैट की दरों को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की अपील की है ताकि बिक्री और राजस्व में सुधार हो सके।

आर्थिक प्रभाव

झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य में वैट संग्रह का गिरना चिंता का विषय है। यदि सरकार वैट दरों में बदलाव या वैकल्पिक नीतियों पर निर्णय नहीं लेती, तो राजस्व में कमी का असर राज्य के विकास कार्यों पर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

झारखंड सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह पड़ोसी राज्यों की दरों का तुलनात्मक विश्लेषण कर वैट नीति में उचित संशोधन करे। इससे न केवल राजस्व में गिरावट रोकी जा सकेगी, बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित हो सकेगी।

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