झारखंड के धनबाद जिले के निरसा ओसीपी (ओपन कास्ट प्रोजेक्ट) को एक साल के बाद फिर से चालू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसके चलते ओसीपी क्षेत्र के आसपास के लगभग 200 घरों और क्वार्टरों को हटाया जाएगा। इसमें कर्मियों और गैर-कर्मियों के करीब 200 क्वार्टर और घर शामिल हैं। इस फैसले के बाद क्षेत्र के लोग चिंतित और भयभीत हैं। इस विषय पर बुधवार को उत्तर पंचायत के पंचायत भवन में कोलियरी प्रबंधन और धौड़ा के लोगों के बीच बैठक हुई, जिसमें निरसा उत्तर पंचायत के मुखिया दिनेश सिंह भी उपस्थित थे।

बैठक में प्रबंधन ने कहा कि दूसरी कोलियरी के लिए जो क्वार्टर खाली हैं, उसमें कोल कर्मियों को शिफ्ट किया जाएगा, जबकि कोलियरी परिसर में बाहरी लोगों को रहने के लिए पहाड़ी पर ईसीएल की खाली जमीन पर घर बनाने की अनुमति दी जाएगी। प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि वहां बिजली और पानी की व्यवस्था नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। हालांकि, स्थानीय लोगों ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और वहां जाने से इंकार किया। इसके बाद प्रबंधन ने महताडीह कॉलोनी में शिफ्ट होने का सुझाव दिया।

विद्यासागर कॉलोनी के लोग चिंतित

निरसा ओसीपी का विस्तार और चालू होने से विद्यासागर कॉलोनी के लोग भयभीत हैं। ईसीएल मुगमा क्षेत्र के प्रबंधन ने घोषणा की है कि ओसीपी को दो सप्ताह के भीतर चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही करीब 100 क्वार्टर और 200 घरों को हटाना होगा। प्रबंधन ने इन घरों को हटाने के लिए नोटिस भी जारी किया है। इस दौरान कर्मियों को दूसरी कोलियरी के क्वार्टरों में शिफ्ट किया जाएगा। ओसीपी के चालू होने से स्थानीय लोगों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है, क्योंकि इस क्षेत्र में लोगों को वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं की गई है।

डीजीएमएस से शिकायत और निरीक्षण

कॉलोनी के लोगों ने इस मामले में खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) से शिकायत की थी। डीजीएमएस के अधिकारियों ने इन घरों का निरीक्षण किया और ईसीएल प्रबंधन को हैवी ब्लास्टिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया। लोगों का कहना है कि निरसा ओसीपी की भौगोलिक स्थिति कोयला उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं है। उत्तर दिशा में 50 मीटर की दूरी पर पुसई नदी, दक्षिण दिशा में गुरुदास नगर, विद्यासागर कॉलोनी, पेट्रोल पंप और जीटी रोड स्थित हैं, जबकि पश्चिम दिशा में भमाल गांव और पूरब दिशा में खुदिया-महताडीह एप्रोच रोड हैं। ओसीपी का विस्तार करने के लिए एक सौ वर्षों से पुराना विरसिंहपुर गांव जाने का मार्ग काट कर डायवर्ट कर दिया गया है, जिससे स्थानीय लोग और पर्यावरणीय सुरक्षा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

ईसीएल प्रबंधन का यह कदम स्थानीय लोगों और कर्मचारियों के बीच विवादों को जन्म दे सकता है, और आगे चलकर इसके सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव पर भी चर्चा होने की संभावना है।

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