रांची

झारखंड की बड़ी कोयला परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा और नौकरी देने के नाम पर वर्षों से चल रहे एक सुनियोजित घोटाले का अब पर्दाफाश हो गया है। राज्य की सीआईडी (अपराध अनुसंधान विभाग) ने इस मामले की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है और अब इसमें एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीजीपी को सौंपी गई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसमें कोल कंपनी के अधिकारियों के साथ-साथ राजस्व विभाग के कर्मियों की भी मिलीभगत सामने आई है।

मगध और चंद्रगुप्त परियोजनाओं में गड़बड़ी

जांच का केंद्र चतरा जिला की मगध कोल परियोजना और हजारीबाग के केरेडारी स्थित चंद्रगुप्त ओपनकास्ट कोल प्रोजेक्ट है। इन दोनों परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण के बदले विस्थापित ग्रामीणों को नौकरी और मुआवजा देने का प्रावधान है। लेकिन जांच में पाया गया कि कई मामलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाहरी व्यक्तियों को लाभ दिलाया गया।

एक ही गिरोह की भूमिका, सीसीएल और राजस्व विभाग पर सवाल

सीआईडी की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इन गड़बड़ियों में एक ही गिरोह सक्रिय था, जिसने जाली वंशावली, हुकुमनामा, लगान रसीद और जमाबंदी दस्तावेज तैयार कर अधिग्रहण क्षेत्र से बाहर के लोगों को भी रैयत घोषित करवा दिया। इसके बाद न केवल उन्हें मुआवजा राशि मिली, बल्कि नौकरी भी दी गई।

जांच में शामिल अधिकारियों ने यह भी पाया कि इस फर्जीवाड़े में सीसीएल (कोल क्षेत्रीय कंपनी) के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के बयान और संबंधित अभिलेखों के आधार पर यह भी पुष्टि हुई कि राजस्व विभाग के कुछ कर्मी और अंचलकर्मी भी इस साजिश में शामिल थे।

टंडवा थाने में पहले से दर्ज केस, अब CID करेगी टेकओवर

टंडवा कोल परियोजना से जुड़ा यह मामला पहले से ही चतरा के टंडवा थाना क्षेत्र में दर्ज है, जिसे अब सीआईडी टेकओवर करेगी। वहीं, चंद्रगुप्त परियोजना से जुड़ी गड़बड़ी को लेकर नई प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

इस पूरे मामले की शिकायत दुर्गा उरांव उर्फ दुर्गा मुंडा नामक व्यक्ति ने गृह सचिव और डीजीपी से की थी, जिसके बाद सरकार ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए जांच सीआईडी को सौंपी थी।

जिला प्रशासन ने भी मानी गड़बड़ी

चतरा जिला प्रशासन की ओर से की गई आंतरिक जांच में भी घोटाले की पुष्टि हुई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कई ऐसे लोग, जो अधिग्रहण क्षेत्र से बाहर के थे, उन्हें रैयत घोषित कर सरकारी लाभ दिया गया। जिला प्रशासन ने इस संबंध में 22 व्यक्तियों को नामजद करते हुए टंडवा थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।

निष्कर्ष: झारखंड में कोल परियोजनाओं से जुड़े इस घोटाले ने सरकारी मुआवजा और नौकरी देने की पूरी प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब जबकि मामला सीआईडी के हाथ में है, उम्मीद की जा रही है कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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