जमशेदपुर के डिमना बस्ती में रहने वाले नूडल्स कारोबारी और ‘यमी चाव’ ब्रांड से जुड़ी एक प्रमुख फूड कंपनी के मालिक की रहस्यमय गुमशुदगी के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। अब इस मामले में साइबर सेक्सटॉर्शन गैंग की संलिप्तता सामने आई है, जो कारोबारी से जबरन वसूली कर रहा था।

साइबर गिरोह ने वर्चुअल नंबरों से की कॉलिंग

परिजनों की मानें तो कारोबारी को दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच 16 अलग-अलग विदेशी नंबरों से लगातार फोन कॉल आ रहे थे। ये सभी नंबर वर्चुअल थे, जो विभिन्न मोबाइल एप्स के जरिए जनरेट किए गए थे। ये एप्स अपराधियों को अपनी पहचान छिपाने का जरिया देते हैं और उन्हें किसी भी देश का नंबर उपलब्ध करवा सकते हैं।

मोबाइल हैक कर निकाले निजी नंबर और डाटा

कारोबारी के बेटे आदित्य कुमार के अनुसार, अपराधियों ने उनके पिता का मोबाइल फोन हैक कर लिया था। इसके चलते न केवल कारोबार से जुड़े वितरकों के नंबर बल्कि परिवार के सदस्यों के नंबर भी साइबर अपराधियों के पास पहुंच गए। इन सभी लोगों को अश्लील मैसेज भेजे गए और कारोबारी के नाम पर पैसे भी मांगे गए।

साइबर गिरोह ने इतनी सफाई से यह काम किया कि परिवार को शुरुआत में सिर्फ यह लगा कि कोई सामान्य हैकिंग या ठगी का मामला है। लेकिन जब उनके पिता ने डर और दबाव में आकर पैसे भेजने शुरू किए, तब मामला गंभीर होता गया।

लगातार वसूली की गई रकम

परिजनों की जांच में सामने आया कि शुरुआत में कारोबारी ने तीन हजार रुपये भेजे थे, लेकिन धीरे-धीरे यह रकम बढ़ती चली गई। उन्होंने अलग-अलग समय पर करीब डेढ़ लाख रुपये तक ठगों को ट्रांसफर कर दिए।

गायब होने से पहले थी मानसिक परेशानी

व्यवसायी 1 दिसंबर 2024 को जमशेदपुर से मुजफ्फरपुर व्यापारिक काम से गए थे। उन्होंने वहां के नगर थाना क्षेत्र के सूतापट्टी स्थित एक गेस्ट हाउस में ठहराव किया था और 3 दिसंबर की सुबह चेकआउट कर लिया।

परिजनों के मुताबिक, 3 दिसंबर की रात उन्होंने अपनी पत्नी से अंतिम बार फोन पर बात की थी, लेकिन उन्होंने किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया। इसके बाद उनका मोबाइल बंद हो गया और वे लापता हो गए।

कहीं आत्महत्या का दबाव तो नहीं?

अब जब साइबर शोषण की परतें खुल रही हैं, तो परिजनों को आशंका है कि लगातार धमकियों और बदनामी के डर से कारोबारी मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके थे। उन्होंने अपने मन की बात किसी से साझा नहीं की, लेकिन उनके व्यवहार में चिंता स्पष्ट थी।

पुलिस और साइबर सेल कर रही जांच

पुलिस ने गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज कर ली है और अब साइबर सेल के सहयोग से जांच को डिजिटल फ्रॉड की दिशा में मोड़ा गया है। कॉल डिटेल रिकॉर्ड, मोबाइल की लोकेशन हिस्ट्री और ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस की जांच की जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, साइबर गिरोह की जड़ें देश के बाहर भी हो सकती हैं, क्योंकि जिन नंबरों से कॉल की गई थी, वे नाइजीरिया, सिंगापुर, यूएस और यूएई जैसे देशों के वर्चुअल सर्वर से जुड़े पाए गए हैं।

यह सिर्फ एक केस नहीं, बढ़ रही है डिजिटल वसूली की घटनाएं

यह मामला दर्शाता है कि कैसे संगठित साइबर गिरोह अब छोटे-बड़े कारोबारियों को निशाना बना रहे हैं। डिजिटल माध्यमों से अश्लील कंटेंट, ब्लैकमेलिंग और पैसे की मांग एक खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है, जो लोगों की निजता और मानसिक स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित कर रहा है।

इस प्रकरण में दो प्रमुख बिंदु हैं:

  1. साइबर अपराधियों की पहुंच अब छोटे व्यवसायियों तक हो गई है, जो तकनीकी रूप से सतर्क नहीं होते।
  2. गुमशुदगी के पीछे डिजिटल ब्लैकमेल एक गंभीर वजह बनती जा रही है, जो कई मामलों में सामने नहीं आ पाती।
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