रांची। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य की शैक्षणिक संरचना में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव करते हुए TGT (स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक) और PGT (स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक) पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत 8900 शिक्षकों के पदों को खत्म कर दिया गया है, और उनकी जगह अब 1373 माध्यमिक सहायक आचार्य की भर्ती की जाएगी।

कैबिनेट का अहम फैसला:

हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। जानकारी के अनुसार:

  • हाई स्कूलों में रिक्त 9470 पदों में से 8650 पद खत्म किए गए।
  • प्लस टू स्कूलों में 797 में से 250 पद समाप्त कर दिए गए।
  • इसके स्थान पर अब राज्य के 510 सरकारी प्लस टू स्कूलों में 1373 माध्यमिक सहायक आचार्य की नियुक्ति की जाएगी।

नए पदों का वेतनमान:

नई नियुक्तियों में वेतनमान भी बदला गया है। जहां टीजीटी और पीजीटी शिक्षकों को उच्च स्तर का वेतनमान मिलता था, वहीं आचार्यों के लिए यह वेतनमान थोड़ा कम होगा:

पदवेतन स्तरवेतनमान (₹)
माध्यमिक सहायक आचार्यलेवल-6₹35,400 – ₹1,12,400
TGT शिक्षकलेवल-7₹44,900 – ₹1,42,400
PGT शिक्षकलेवल-8₹47,600 – ₹1,51,100

इसका सीधा मतलब है कि नए नियुक्त आचार्यों का वेतन TGT और PGT शिक्षकों से कम होगा।

शिक्षा नीति में बदलाव की दिशा में कदम?

इस फैसले को झारखंड सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में एक नए ढांचे की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। “माध्यमिक आचार्य” पद को लाकर सरकार एकीकृत और बहु-उद्देशीय भूमिका वाले शिक्षक नियुक्त करना चाहती है, जो विषय विशेषज्ञता के साथ-साथ स्कूल संचालन में भी सहायक बनें।

राजनीतिक और शैक्षणिक प्रतिक्रियाएं

हालांकि इस निर्णय को लेकर शिक्षकों और अभ्यर्थियों में मिश्रित प्रतिक्रिया है। एक ओर जहां इसे “व्यवस्था का आधुनिकीकरण” बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर टीजीटी-पीजीटी पदों के खत्म होने से कई शिक्षक संगठन नाराज हैं और इसे “भर्ती प्रक्रिया में कटौती” मान रहे हैं।

मुख्यमंत्री आज करेंगे विकास योजनाओं की समीक्षा

इसी बीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बुधवार को राज्य सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक करेंगे। यह बैठक मुख्यमंत्री आवास में आयोजित की जाएगी, जिसमें विभिन्न विभागों के सचिव, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, अनुसूचित जनजाति/जाति, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला एवं बाल विकास आदि विभागों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

बैठक में विधि-व्यवस्था की स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी, और अधिकांश पदाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें भाग लेंगे।

निष्कर्ष:

हेमंत सोरेन सरकार का यह फैसला झारखंड की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देने की कोशिश है, लेकिन इसके प्रभावों को लेकर आने वाले दिनों में चर्चाएं और विवाद बढ़ सकते हैं। खासतौर पर उन हजारों अभ्यर्थियों के लिए, जो वर्षों से TGT और PGT की भर्तियों की प्रतीक्षा कर रहे थे।

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