झारखंड के हजारीबाग जिले से शनिवार को सुरक्षा बलों के लिए दो अलग-अलग घटनाएं सामने आईं, जिनमें एक जवान की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि दूसरी घटना में एक पुलिसकर्मी की सड़क दुर्घटना में जान चली गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। दोनों ही घटनाओं ने जिले की सुरक्षा और गश्ती व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

CISF जवान की संदिग्ध हालात में मौत

शनिवार सुबह हजारीबाग में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक जवान मिथिलेश प्रसाद यादव की मौत हो गई। उन्हें गोली लगी थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गोली चलने की स्थिति क्या थी। प्रथम दृष्टया यह मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है, जिसे लेकर पुलिस और सीआईएसएफ की आंतरिक जांच टीम ने पड़ताल शुरू कर दी है। फिलहाल गोली कैसे और किन परिस्थितियों में चली, इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

गश्त के दौरान हादसे का शिकार हुए पुलिसकर्मी

एक अन्य घटना में हजारीबाग जिला बल के दो पुलिसकर्मी शुक्रवार रात को गश्ती ड्यूटी पर थे। कोर्रा थाना क्षेत्र के अंतर्गत इन दोनों जवानों को एक अज्ञात वाहन ने कुचल दिया। इस हादसे में सिपाही नंदलाल ठाकुर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके साथी गणेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल स्थानीय आरोग्यम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद रांची रेफर कर दिया गया है।

मृतक जवान नंदलाल ठाकुर का पोस्टमार्टम करवा कर पार्थिव शरीर को पुलिस लाइन लाया गया, जहां उनके सम्मान में शोक सभा आयोजित की जाएगी।

प्रशासन सतर्क, जांच जारी

दोनों ही मामलों में प्रशासन सतर्क है और जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जहां एक ओर गोली कांड को लेकर सीआईएसएफ और स्थानीय पुलिस जांच कर रही है, वहीं सड़क दुर्घटना के मामले में अज्ञात वाहन की तलाश जारी है। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को जल्द चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष:

हजारीबाग में एक ही दिन हुई इन दो घटनाओं ने न केवल पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा पर प्रश्न खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि ड्यूटी के दौरान जवान कितने असुरक्षित रह जाते हैं। यह समय है जब प्रशासन को जवानों की सुरक्षा को लेकर नीतिगत सुधार पर गंभीरता से विचार करना होगा।

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