झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में रिश्तों की मर्यादा और सामाजिक ताना-बाना टूटता हुआ नजर आ रहा है। बीते एक साल में जिले के ग्रामीण इलाकों में हत्या के 44 मामले सामने आए, जिनमें से 25 घटनाएं ऐसी थीं, जहां रिश्तेदारों ने अपने ही परिजनों की हत्या की। इन हत्याओं का मुख्य कारण अवैध संबंध और आपसी विवाद बताया गया है।
रिश्तों में बढ़ता तनाव और हत्या की वजहें
ग्रामीण इलाकों में अवैध संबंध और आपसी विवाद अब हत्याओं की बड़ी वजह बन रहे हैं। इनमें 20 घटनाएं मोबाइल फोन से जुड़ी पाई गईं। मोबाइल फोन पर बातचीत, तस्वीरें या संदिग्ध गतिविधियों ने रिश्तों में शक पैदा किया, जिसने इन हत्याओं को अंजाम तक पहुंचाया।
ग्रामीण बनाम शहरी अपराध
• ग्रामीण इलाका: एक साल में 44 हत्याओं में 25 मामले रिश्तेदारों के बीच हुए, जहां अवैध संबंध मुख्य कारण बने।
• शहरी इलाका: शहरी क्षेत्रों में 40 हत्याएं हुईं, जिनमें 29 अपराधियों के आपसी झगड़े से संबंधित थीं।
पिछले एक साल की प्रमुख घटनाएं
• 27 जनवरी 2024: बहरागोड़ा में घरेलू विवाद के चलते एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और बच्चे की हत्या कर दी।
• 17 फरवरी 2024: बहरागोड़ा में भाई ने आपसी झगड़े के चलते अपने ही भाई की हत्या कर दी।
• 9 जून 2024: कमलपुर में पैसे देने से इनकार करने पर बेटे ने अपने पिता की कुदाल से हत्या कर दी।
• 18 अगस्त 2024: कोवाली में पत्नी पर अवैध संबंध का आरोप लगाकर पति ने उसकी हत्या कर दी।
• 11 नवंबर 2024: मुसाबनी में अवैध संबंध के चलते एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया।
मनोवैज्ञानिकों की राय
मनोचिकित्सक पूजा मोहंती का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब मानसिक अवसाद और पारिवारिक तनाव तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया, खासकर रील्स, इस तनाव को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। लोग काल्पनिक दुनिया और वास्तविकता के बीच अंतर समझ नहीं पा रहे हैं, जिससे रिश्तों में शक और विवाद जन्म ले रहे हैं।
समाज पर प्रभाव और समाधान की जरूरत
ग्रामीण समाज में इस प्रकार की घटनाएं न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रही हैं, बल्कि समाज में असुरक्षा का माहौल भी पैदा कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक जागरूकता, मनोवैज्ञानिक परामर्श और पारिवारिक संवाद को बढ़ावा देकर इन घटनाओं को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
पूर्वी सिंहभूम में रिश्तों के इस कदर बिखरने और हत्याओं की बढ़ती घटनाएं समाज के लिए एक चेतावनी हैं। पारिवारिक संवाद, सही जानकारी और अवसाद को दूर करने के उपायों से ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।